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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।

अथवा
लोक प्रशासन व निजी प्रशासन की तुलना करते हुए समानताएँ व विभिन्नताएँ बताइए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. निजी प्रशासन की लोक प्रशासन से किन्हीं दो समानताओं का उल्लेख कीजिए।
2. लाभ प्राप्ति के उद्देश्य की दृष्टि से लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में क्या अंतर है?
3. लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में कार्य प्रणाली की समानता को समझाइए
4. लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में क्या समानताएँ हैं,

उत्तर -

प्रशासन एक ऐसी प्रक्रिया है जो मनुष्यों द्वारा किसी निर्दिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रत्येक * सहकारी प्रयास में पाई जाती है। वह चाहे जो भी क्षेत्र हो या गृहणी द्वारा गृह कार्य से सम्बन्धित हो प्रशासन की आवश्यकता पड़ती है। यह एक ऐसा यंत्र है जिसके द्वारा योजनाओं व कार्यक्रमों के निर्माण एवं क्रियान्वयन में प्रयोग किया जाता है तथा यह समाज के हर संगठन के लिए आवश्यक है कि चाहे वह किसी इमारत का निर्माण हो या किसी विद्यालय की संचालन व्यवस्था, प्रशासन सर्वत्र विद्यमान है। चाहे वह राज्य जैसा बड़ा संगठन हो या परिवार जैसा छोटा संगठन।

इस प्रकार प्रशासन चाहे निजी हो या सार्वजनिक दोनों के प्रशासन में बहुत सी समानतायें हैं तथा उनमें विभिन्नतायें भी हैं।

लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में समानताएँ

1. संगठन की आवश्यकता - प्रशासन चाहे व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक उसके लिए एक संगठन की आवश्यकता होती है। संगठन में मानवीय एवं भौतिक दोनों साधनों का समुचित समायोजन किया जाता है।

संगठन प्रशासन की आत्मा है। इसको चलाने हेतु जहाँ व्यक्ति प्रशासन में क्रमश: संचालक मंडल दिशा-निर्देश देने एवं नियंत्रण करने हेतु एवं महाप्रबन्धक इनको क्रियान्वित करने के लिए होते हैं। वहीं पर सार्वजनिक प्रशासन में नीतियों के निर्माण करने हेतु कार्यपालिका होती है।hi

2. कार्य प्रणाली मे समानता - दोनों प्रकार के प्रशासन में प्रबन्धकीय तकनीकी अपनाई जाती है। जैसे- फाइल रखना, आंकड़े बनाना, रिपोर्ट बनाना, लेखा-जोखा रखना। कुशलता व कार्य में तेजी लाने के लिए दोनों ही प्रकार के प्रशासन में एक ही समान कार्य संपन्न होने लगा है। इसी समानता के कारण ही वर्तमान में सरकारी निकायों का संगठन व्यक्तिगत निकायों की भाँति होता है।

3. योग्यता एवं कौशल - लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में जिस कौशल की आवश्यकता होती है वह बहुत कुछ एक ऐसा ही होता है। यही कारण है कि कई बार सरकारी प्रशासन के व्यक्ति को निजी प्रशासन में भर्ती कर लिया जाता है।

दूसरी ओर बड़े स्तर के व्यवसायिक प्रशासन भी कर्मचारी वर्ग के प्रशासन उनके कल्याण व अन्य समस्याओं पर लोक प्रशासन के व्यवहारों से प्रेरणा प्राप्त करते हैं। यह स्पष्ट है कि आज का युग लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है जिससे लोक प्रशासन व निजी प्रशासन का भेद मिटता जा रहा है।

4. उत्तरदायित्व के सिद्धान्त में समानता - दोनों प्रकार के प्रशासन में उत्तरदायित्व के सिद्धान्त को समान रूप से महत्व दिया जाता है। व्यक्तिगत प्रशासन में महाप्रबन्धक अपने मंडल के प्रति व सार्वजनिक प्रशासन में कार्यपालिका विधानमंडल के प्रति अपने कार्य के प्रति उत्तरदायी होता है।

5. जनसंपर्क की आवश्यकता - दोनों प्रकार के प्रशासनों में जनसंपर्क के सिद्धान्त की आवश्यकता होती है। निजी प्रशासन में लाभ उसी समय हो सकता है जब तक कि जनता का संपर्क बना रहता है। परन्तु आज के युग में प्रतिद्वन्द्विता बढ़ जाने के कारण जनसंपर्क को महत्व स्वतः बढ़ गया है। सार्वजनिक प्रशासन का तो मूलमंत्र ही जनसंपर्क है। शासन की उपलब्धियों ही सरकार को जीवित रखती है। सरकारों का परिवर्तन राजनैतिक दलों की इस गुणों पर आधारित होता है। चुनाव के समय जनता इसी आधार पर अपनी शक्ति को दर्शाती है।

6. उद्देश्य - आज के तेजी से वैज्ञानिक प्रगति के योग में अन्वेषण का अपना महत्व है। लोक प्रशासन या निजी प्रशासन जितना सह नवीन खोजों पर आधारित होकर अपना काम करेगी लाभ उतना ही अधिक होगा। व्यक्तिगत प्रशासन सुदृढ़ होगा और उस राष्ट्र की उन्नति होगी।

लोक प्रशासन व निजी प्रशासन में अन्तर

इतनी सभी समानतायें होने के बावजूद इन दोनों प्रशासनों में बहुत अन्तर पाया जाता है। लोक प्रशासन की प्रकृति राजनैतिक है इसके विपरीत निजी प्रशासन अराजनैतिक, व्यापारिक है।

1. समान व्यवहार - लोक प्रशासन जनता के साथ समान व्यवहार करती है। अधिकारियों के सामने एक नीति होती है जिस पर उनको पालन करना होता है। वे अपने कार्य में पक्षपातहीनता नहीं कर सकते हैं। इसके विपरीत निजी प्रशासन में इस प्रकार के समान व्यवहार की आवश्यकता नहीं रहती है और बिना किसी बाधा के वह जनता या अपने ग्राहकों के एक वर्ग के साथ सम्बन्ध बनाये रखती है।

2. बाह्य वित्तीय नियंत्रण - लोकतंत्र पर बाह्य वित्तीय नियंत्रण रहता है। प्रजातंत्रात्मक शासन व्यवस्था का यह मूल सिद्धान्त है कि करों द्वारा जनता का धन जन कल्याण के लिए ही व्यय किया जाता है न कि किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय विशेष के लाभ में। इनके लिए यह अनिवार्य है कि संपूर्ण वित्त व्यवस्थापिका के हाथों में रखी जाये। वित्त पर कार्यपालिका का नियंत्रण नहीं रहता। इस प्रकार लोक प्रशासन में वित्त एवं प्रशासन का पूर्ण रूप से पृथक्कीकरण रहता है। इस प्रकार का पार्थक्य प्रशासन में देखने को नहीं मिलता।

3. जनता के प्रति उत्तरदायित्व - लोक प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। प्रशासन के किसी भी छोटे से पहलू पर संसद में प्रश्न उठाया जा सकता है और सरकार को उसका पालन व उसका उत्तर संतोषजनक रूप से देना होता है। सरकार के हाथ-पांव परम्पराओं से बंधे रहते हैं। प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता जिनकी इच्छाओं को व्यक्त करती है। प्रशासन को उसी प्रकार करना होता है। परन्तु निजी प्रशासन में जनता के प्रति इस रूप में उत्तरदायी नहीं रहता। यद्यपि वह पूर्ण रूप से जनता के उत्तरदायित्वों की अवहेलना तो नहीं करता। क्योंकि इसका अन्तिम लक्ष्य लाभ की प्राप्ति करना होता है।

4. सेवाओं की प्रकृति - लोक प्रशासन द्वारा जिन सेवाओं का संचालन किया जाता है, वे सेवायें प्रायः जनता की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं और साथ ही उनकी प्रकृति इतनी महत्वपूर्ण होती है कि उनके बिना समाज का जीवन और सभ्यता तथा संस्कृति का विकास असंभव बन जाता है। निजी प्रशासन में इस विशेषता का अभाव पाया जाता है। लोक प्रशासन की इस विशेषता के कारण ही उसका भाव भी अत्यन्त व्यापक होता है।

5. लाभ प्राप्ति का उद्देश्य - लाभ प्राप्त करने का लक्ष्य जो व्यक्तिगत प्रशासन का मूल आधार है। लोक प्रशासन से अलग नहीं किया जा सकता है। कोई व्यापारी जब व्यापार का आरम्भ करता है तो सर्वप्रथम वह उससे होने वाले लाभ के बारे में सोचता है। परन्तु लोक प्रशासन को कार्य प्रारम्भ करने से पहले इस प्रकार की किसी बात के बारे में सोचना नहीं होता। इसका लक्ष्य धन की प्राप्ति न होकर उन सेवाओं का प्रबन्ध करना होता है जो जनता की सुरक्षा स्वास्थ्य व सुविधा के लिए आवश्यक होता है। चाहे इसका आर्थिक लाभ उसे मिले चाहे न मिले। ठीक इसके विपरीत निजी प्रशासन में व्यक्ति तब तक कोई शुरुआत नहीं करता जब तक कि उसे कोई आर्थिक लाभ का लालच न हो।

6. कानून व नियमों का प्रभाव - लोक प्रशासन कानूनों व नियमों से अधिक नियमित होता है इतना व्यक्तिगत प्रशासन में नहीं होता है। लोक प्रशासन ऐसा कोई कार्य नहीं कर सकता जिसके लिए उसे कानून से अनुमति प्रदान नहीं की गई हो। दूसरी ओर निजी प्रशासन में प्रशासक वह सभी कार्य कर सकता है जिसे करने के लिए कानून या नियम द्वारा मना न किया जाये।

इस प्रकार लोक प्रशासन व निजी प्रशासन के मध्य स्थित महत्वपूर्ण उत्तरों के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि व्यक्तिगत व्यापार केवल लाभ के लक्ष्य से ही संचालित किया जाता है। इसका लक्ष्य भी लोगों की सेवा करना होता है। कोई भी व्यवसाय अधिक दिन तक नहीं चल सकता यदि उसका लक्ष्य दूसरों की भलाई करना न हो। कानून ने आज व्यापार पर अनेकों कर लगा दिये हैं। ताकि वे लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही संचालित किया जा सके। कोई भी व्यवसाय जो अपने लाभ प्राप्त करने की गरज से जनता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा व अन्य उच्च जीवन के लक्षणों के लिए खतरा पैदा करेगा उसे कार्य नहीं करने दिया जायेगा।

इसी प्रकार वास्तविकता यह है कि लोक प्रशासन व निजी प्रशासन कोई अलग सत्ता नहीं है बल्कि वे एक ही प्रशासन के अलग-अलग रूप है। उनकी जाति तो एक है परन्तु किस्में व कार्य प्रणालियाँ अलग-अलग हैं।

हेनरी फेयाफल ने लिखा है - "सभी प्रकार के प्रशासनों को योजना, संगठन, आदेश, समन्वय, नियंत्रण की आवश्यकता होती है और अपना कार्य भली-भाँति संपन्न कराने के लिए सभी को एक जैसे सामान्य सिद्धान्तों का पालन करना होता है। अन्त में यह कहा जा सकता है कि यदि दोनों के कार्य में अन्तर है तो वह मात्रा का है गुण का नहीं।'

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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